Farmer Point: जानें ये किस्में कौनसी है और इसका बुआई का तरीका क्या है
मानसून की पहली बारिश से खरीफ फसलों की बुवाई शुरू होगी। ऐसे में, बहुत से किसान खरीफ सीजन में सोयाबीन (तिलहन फसल) की खेती करेंगे। इसके लिए उन्हें उन्नत किस्म के बीजों की बुवाई करनी चाहिए और सोयाबीन की खेती (soybean cultivation) में कुछ महत्वपूर्ण बातों को भी ध्यान रखना चाहिए। सोयाबीन बहुत जटिल खेती है। सोयाबीन से तेल निकालकर कई खाने की चीजें बनाई जाती हैं, जैसे सोया दूध, सोया पनीर, सोया बड़े, सोया दही, सोया बड़े, नमकीन, आदि।
इसकी मांग भी अच्छी रहती है। यही कारण है कि बहुत से किसान सोयाबीन की खेती करते हैं। हम ट्रैक्टर जंक्शन के माध्यम से किसानों को सोयाबीन की खेती से अधिक उत्पादन कैस मिलने के लिए किन बातों पर ध्यान देना चाहिए, किन किस्मों का चयन करना चाहिए, आदि जानकारी दे रहे हैं. आइए जानते हैं।
Farmer Point: सोयाबीन की टॉप 5 किस्मे कौनसी है देखे (See Which Are The Top 5 Varieties Of Soybean ?)
सोयाबीन की कई किस्में बेहतर पैदावार देती हैं। इन किस्मों में 25 से 30 क्विंटल की उत्पादकता हो सकती है, जैसे जेएस-335, एमएससी 252, जेएस 9308, जेएस 2095 और जेएस 2036। ध्यान दें कि प्रत्येक राज्य ने अपने-अपने क्षेत्रों के अनुसार सायोबीन की विभिन्न किस्में चुनी हैं। ऐसे में किसानों को सोयाबीन की बुवाई से पहले अपने क्षेत्र में अनुशंसित सोयाबीन की किस्मों की जानकारी कृषि विभाग से लेनी चाहिए।
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सोयाबीन की क्षेत्रवार उन्नत किस्में (Area Wise Improved Varieties Of Soybean)
- सोयाबीन की अच्छी किस्में उत्तरी मैदानी क्षेत्रों में उपलब्ध हैं, जैसे PS 416, PS 564, PS 1024, PS 1042, PS 1241, PS 1347, DS 9814, DS 9712, SL 295, SL 525।
- मध्य भारत में सोयाबीन की किस्में NRC 7, ARC 37, JS 80-21, JS 93-05, JS 95-60, JS 335 अच्छी हैं।
- उत्तर-पूर्वी क्षेत्रों में बिरसा सोयाबीन 1, प्रताप सोयाबीन, इंदिरा सोयाबीन, JS 80-21 और MS 71 आदि अच्छी किस्में हैं।
- सोयाबीन की शिलाजीत, पूसा 16, वी.एल. सोया 2, वी.एल. सोया 47, हरा सोया, पालम सोया, पंजाब, पीएस. 1241, पीएस. 1092, पीएस. 1347 और वी.एस. 63 की किस्में उत्तरी पहाड़ी क्षेत्रों में अच्छी मानी जाती हैं।
Farmer Point: सोयाबीन की खेती से अधिक पैदावार कैसे ले ? (How To Get More Yield From Soybean Cultivation?)
सोयाबीन की अधिक पैदावार में बुवाई की प्रक्रिया, खाद की मात्रा, सिंचाई और अन्य क्रियाओं का भी योगदान होता है। ऐसे आधुनिक कृषि उपायों का उपयोग करके आप अधिक सोयाबीन उत्पादन प्राप्त कर सकते हैं। बारिश का समय सोयाबीन की बुवाई का सही समय है। ऐसे में किसान इसकी बुवाई जून या जुलाई में बारिश होने पर कर सकते हैं। सोयाबीन की बुवाई तब करनी चाहिए जब क्षेत्र में 100 मिमी बारिश हो चुकी हो। यदि इससे कम बारिश होती है तो सोयाबीन नहीं बोया जाना चाहिए।
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Farmer Point: सोयाबीन की बुवाई कैसे करे (How To Sow Soybean)
सोयाबीन के बीजों की बुवाई करते समय खेत में पर्याप्त मात्रा में पानी नहीं होना चाहिए। यदि खेत में पानी भरा हो तो उसे निकालें। सोयाबीन के बीजों को पौधे से कम से कम पांच से दस सेंटीमीटर दूर रखना चाहिए।
Farmer Point: सोयाबीन में यूरिया का उपयोग कब करे(When To Use Urea In Soybean)
कृषि जानकारों का कहना है कि सोयाबीन की खेती में दो से तीन बार कम मात्रा में यूरिया का उपयोग करना चाहिए। एक हैक्टेयर सोयाबीन की बुवाई करते समय कम से कम बारह से पंद्रह किलोग्राम यूरिया खेत में डालना चाहिए। वहीं पौधे विकसित होने के लिए 25 से 30 किलोग्राम यूरिया चाहिए। सोयाबीन के पौधे में फूल आने पर ४०-५० किलोग्राम यूरिया देना चाहिए।
टॉप 5 किस्में देगी 30 क्विंटल प्रति हैक्टेयर पैदावार
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